Puraanic contexts of words like Kumbhakarna, Kumbhakaara/potter, Kumbhaanda, Kumbheenasi, Kumbhipaaka etc. are given here.


कुम्भक गरुड २.२.१९.६९( कव्यवाह - पुत्री का कुम्भक के गृह में नीला नाम से उत्पन्न होकर विष्णु पत्नी होने का कथन ), ३.१९.६९(कुम्भक-पुत्री नीला के कृष्ण-भार्या होने का उल्लेख), ३.१९.७४(नीला पिता),  स्कन्द ६.१९९.११३ ( कुम्भक नामक चाण्डाल का ब्राह्मण वेश में चन्द्रप्रभ नाम से सुभद्र ब्राह्मण की कन्या से विवाह, पहिचान लिए जाने पर शुद्धि परीक्षा के भय से पलायन का वर्णन ) । kumbhaka

 

कुम्भकर्ण ब्रह्माण्ड २.३.८.४७ (विश्रवा व कैकसी - पुत्र, रावण, विभीषण व शूर्पणखा - भ्राता ), ३.४.२९.११६ ( ललिता देवी के वामहस्त की तर्जनी के नख से उद्भूत राम द्वारा कुम्भकर्ण के वध का उल्लेख ), भविष्य ३.४.१३.२७ ( विश्रवा व कैकसी का कनिष्ठ पुत्र, रावण - भ्राता, पितृभक्त, तप से ब्रह्मा को प्रसन्न करके वर प्राप्ति का कथन ), भागवत ४.१.३७ ( विश्रवा व केशिनी - पुत्र, रावण व विभीषण - भ्राता ), ७.१.४३, ७.१०.३६ ( हिरयकशिपु और हिरण्याक्ष नामक दैत्यों के ही रावण व कुम्भकर्ण के रूप में उत्पन्न होने का उल्लेख ), ९.१०.१८ ( वानरसेना द्वारा लङ्का के ध्वस्त किए जाने पर रावण का अनुचरों, पुत्रों के साथ- साथ भ्राता कुम्भकर्ण को भी युद्धार्थ प्रेषित करने का उल्लेख), वायु ७०.४१ ( विश्रवा व कैकसी - पुत्र, रावण, विभीषण, शूर्पणखा - भ्राता ), शिव ४.२०.५ ( कर्कटी - पति, भीम - पिता, रावण - अनुज ), स्कन्द १(२.६६.१०५ ( राम बाण द्वारा कुम्भकर्ण की मृत्यु का उल्लेख ), ५.३.१६८.१६ ( विश्रवा व कैकसी - पुत्र, रावण व विभीषण - भ्राता, कुम्भ व निकुम्भ पिता ), वा.रामायण ६.६०.१३ ( पराजय से दुःखी हुए रावण की आज्ञा से राक्षसों का कुम्भकर्ण को जगाना, कुम्भकर्ण का राक्षसों से जगाने का हेतु पूछना ), ६.६१.९ ( विभीषण का राम को कुम्भकर्ण का परिचय देते हुए ब्रह्मा द्वारा प्रदत्त सुषुप्ति रूप शाप का कथन ), ६.६५ ( कुम्भकर्ण के युद्ध हेतु प्रस्थान करने पर भय से वानर सेना का पलायन, अङ्गद द्वारा प्रोत्साहन ), ६.६७ ( वानर सेनानियों की पराजय, राम द्वारा कुम्भकर्ण के वध का वर्णन ), ७.९.३४ ( कैकसी - पुत्र, रावण, विभीषण तथा शूर्पणखा - भ्राता ), ७.१२.२३ ( वज्रज्वाला - पति ) । kumbhakarna

 Comments on Kumbhakarna

कुम्भकर्णी अग्नि २९९.३० ( नवम मास में बालक को पीडित करने वाली कुम्भकर्णी ग्रही के शमनार्थ उपाय का उल्लेख ), मत्स्य १७९.२२ (अन्धक के रक्तपान हेतु महादेव द्वारा सृष्ट अनेक मानस मातृकाओं में से एक ) ।

 

कुम्भकर्षाश्य वायु २३.२११ ( २५वें द्वापर में विष्णु के अवतार मुण्डीश्वर के ४ पुत्रों में से एक ) ।

 

कुम्भकार स्कन्द २.१.१०.८७+ ( कुलाल, कुर्व ग्राम निवासी भीम नामक कुम्भकार का आख्यान : भक्ति से भीम को मुक्ति की प्राप्ति ), लक्ष्मीनारायण ३.३०.११ ( हरिप्रथ नामक भगवद्भक्त कुम्भकार के शाप से मनु का मृत होना, मनु उज्जीवनार्थ परमेश्वर का स्वयं को असमर्थ बतलाते हुए स्वभक्त हरिप्रथ के प्रसादन से ही श्रेय प्राप्ति का कथन ), ३.१५४ ( पूर्वजन्मार्जित पापों के प्रभाव से सरोजिनी नामक कुम्भकार - पुत्री के ४ पतियों का मरण, सरोजिनी द्वारा वैराग्य ग्रहण आदि का वृत्तान्त ), ४.४६.४३ ( नरराज नामक कुम्भकार को कुटुम्ब सहित श्री हरि के भजन, हरिकथा श्रवण तथा सेवादि सत्कर्म प्रभाव से मुक्ति प्राप्ति  की कथा ), कथासरित् ४.१.१३४ ( पांच पुत्रों के साथ राजभवन में आई हुई कुम्भकारिन को देखकर सन्तानरहित रानी वासवदत्ता द्वारा पिंजलिका से कुम्भकारिन के पुण्यवती होने का कथन ) । kumbhakaara

 

कुम्भकारी वायु ४४.२२ ( केतुमाल द्वीप की एक नदी ) ।

 

कुम्भगर्तोदय ब्रह्माण्ड २.३.५.४३ ( बलि के ४ महाबली पुत्रों में से एक ) ।

 

कुम्भग्रीव ब्रह्माण्ड ३.४.२१.८८ ( भण्ड - पुत्र व सेनापति ) ।

 

कुम्भज ब्रह्माण्ड २.३.३५.४२ ( परशुराम का कुम्भज ऋषि के आश्रम में आगमन तथा मृगोक्त वृत्त के विषय में प्रश्न ), ३.४.१७.३५ ( हयग्रीव का कुम्भज / अगस्त्य से सचिवेशानी देवी के १६ नामों का कथन ), ३.४.३०.४ ( हयग्रीव का कुम्भज से भण्ड दानव के वधोपरान्त ललिता देवी द्वारा आचरित कर्म का वर्णन ) । kumbhaja

 

कुम्भध्वज वामन ६९.४८ ( असुर - देव संग्राम में बलि के कुम्भध्वज नामक गणेश्वर के साथ युद्ध का उल्लेख ) ।

 

कुम्भनाभ वायु ६७.८३ ( बलि के चार प्रधान पुत्रों में से एक ), ६८.१० ( दनु - पुत्र ) ।

 

कुम्भनास ब्रह्माण्ड ३.४.२१.८८( भण्ड - पुत्र व सेनापति ) ।

 

कुम्भपात्र ब्रह्माण्ड २.३.७.३७८ ( १६ पिशाच युग्मों में से एक युग्म का कुम्भपात्र व कुम्भी नाम से उल्लेख ), वायु ६९.२६० ( पिशाच दम्पत्तियों के १६ गणों में से एक कुम्भपात्र व कुम्भी का उल्लेख), ६९.२७४( कुम्भपात्र नामक पिशाच गणों की प्रकृति का कथन) ।

 

कुम्भमान ब्रह्माण्ड २.३.६.१० ( कश्यप व दनु के सहस्रों पुत्रों में से एक ) ।

 

कुम्भयोनि भागवत १.१९.१० ( गङ्गा तट पर ध्यानस्थ राजा परीक्षित के निकट अत्रि, वसिष्ठ, कुम्भयोनि /अगस्त्य प्रभृति ब्रह्मर्षियों , देवर्षियों के शुभागमन का कथन ) ।

 

कुम्भसंभव ब्रह्माण्ड ३.४.१७.३२ ( हयग्रीव द्वारा कुम्भसंभव / अगस्त्य को सचिवेशानी देवी के १६ नामों का कथन ), ३.४.२९.५८ ( हयग्रीव द्वारा कुम्भसंभव को ललितादेवी व भण्ड दैत्य के युद्ध का वर्णन ) ।

 

 कुम्भवक्त्र वामन ५७.८७ ( ऋषियों द्वारा स्कन्द को प्रदत्त ५ अनुचरों में से एक ) ।

 

कुम्भश्रुति गर्ग १०.३२.१ ( बल्वल दैत्य का अनुज ) ।

 

कुम्भहनु वा.रामायण ६.५८.२३ ( रावण - सेनानी, प्रहस्त - सचिव, तार नामक वानर द्वारा वध का कथन ) ।

 

कुम्भाण्ड ब्रह्माण्ड ३.४.२१.८९ ( भण्ड दैत्य के अनेक पुत्रों में से एक ), भागवत १०.६२.१४ ( बाणासुर - मन्त्री , चित्रलेखा - पिता ), १०.६३.८ ( कृष्ण व बाणासुर युद्ध में बाणासुर के मन्त्रियों कुम्भाण्ड व कूपकर्ण के बलराम के साथ युद्ध का उल्लेख ), विष्णु ५.३२.१७ ( बाणासुर - मन्त्री, चित्ररेखा - पिता ), शिव ३.५.३८ (२५वें द्वापर में दण्डी - मुण्डीश्वर शिव अवतार के शिष्यों में से एक ), हरिवंश २.११६.३८ ( बाणासुर - मन्त्री, बाणासुर को शिव से युद्ध रूपी वर की प्राप्ति होने पर कुम्भाण्ड के चिन्तायुक्त होने का कथन ), २.१२७.३४ ( बाणासुर की गायों को वरुण से मुक्त कराने हेतु कुम्भाण्ड की कृष्ण से प्रार्थना का उल्लेख ) । kumbhaanda

 

कुम्भायन लक्ष्मीनारायण २.१२१.१०१ ( कुम्भायन ऋषि द्वारा ब्रह्मा से ग, श वर्णों की प्राप्ति का उल्लेख ) ।

 

कुम्भिका लक्ष्मीनारायण १.३१९.१०( जोष्ट्री - पुत्री, माता द्वारा जल वासियों को देना ), १.३१९.११६( श्रीहरि की पत्नी बनने पर कुम्भिका की निरुक्ति ), २.३०.९५ ( लक्ष्मी के कुम्भिका नाम से हरिप्रथ नामक भक्त कुम्भकार के गृह में निवास का कथन ) । kumbhikaa

 

कुम्भिल ब्रह्माण्ड १.२.२०.२८ ( तृतीय तल में कुम्भिल राक्षस के नगर का उल्लेख ), वायु ५०.२७ ( तृतीय पीतभौम नामक तल में कुम्भिल राक्षस के पुर का उल्लेख ), ६८.३२ ( दनायुषा - पौत्र, बलि - पुत्र ) । kumbhila

 

 कुम्भी ब्रह्माण्ड २.३.७.३७८ ( १६ पिशाच युग्मों में से एक युग्म की स्त्री ), वायु ८३.८९ (कुम्भीक : कर्मच्युत जनों को कुम्भीक नरक की प्राप्ति का उल्लेख ), स्कन्द ७.१.२६६ ( कुम्भीश्वर के दर्शन से पाप मुक्ति का उल्लेख ) । kumbhee/ kumbhi

 

कुम्भीनसी मत्स्य १८७.४१( बलि व विन्ध्यावली - कन्या, अनौपम्या - ननद ), वायु ७०.४९ ( विश्रवा व पुष्पोत्कटा - कन्या, खर आदि की भगिनी ), विष्णुधर्मोत्तर १.२००.५ ( राक्षसी, मधु नामक राक्षस द्वारा माली की पुत्री तथा रावण की भगिनी कुम्भीनसी का हरण, लवण - माता ), वा.रामायण ७.५.४२ (सुमाली व केतुमती की चार कन्याओं में से एक ), ७.२५.२२-२६ ( माल्यवान् - पौत्री, अनला - कन्या, मधु राक्षस द्वारा हरण का कथन ), ७.६१.१६ ( विश्वावसु व अनला -पुत्री, मधु - पत्नी, लवण - माता ), लक्ष्मीनारायण २.८६.४२( विश्रवा व पुष्पोत्कटा - कन्या ) । kumbheenasee/ kumbheenasi/ kumbhinasi

 

कुम्भीपाक ब्रह्मवैवर्त २.३०.१४५ ( कुम्भीपाक नरक प्राप्ति के हेतुओं /पापों का कथन ), २.३०.२११ ( कुम्भीपाक नरक प्राप्ति के हेतु पापों का कथन ), ब्रह्माण्ड १.२.२८.८३ ( आश्रम धर्म से भ्रष्ट होने पर कुम्भीपाक प्रभृति नरकों में पतन का उल्लेख ), २.३.१९.६१ ( योगेश्वरी की निन्दा श्रवण से कुम्भीपाक आदि नरकों में पतन का कथन ), भागवत ५.२६.७,१३ ( अठ्ठाईस नरकों में से एक, उदरपूर्ति हेतु पशु अथवा पक्षी को पकाने वाले को कुम्भीपाक नरक प्राप्ति का उल्लेख ), १०.६४.३८ ( ब्राह्मण दाय का अपहरण करने वाले राजाओं को अपने वंशजों सहित कुम्भीपाक नरक के दुःखों की प्राप्ति का कथन ), मत्स्य १४१.७० (जीव के स्वकर्मानुसार कुम्भीपाक प्रभृति नरकों में गिराए जाने का उल्लेख ) । kumbheepaaka/ kumbhipaka

 

कुम्भीपाल स्कन्द ३.२.३६.४३ (ब्रह्मावर्त - अधिपति तथा रत्नगङ्गा - पति कुम्भीपाल की जैन धर्म परायणता का कथन, अपर नाम कुमारपाल ) ।

 

कुम्भीर कथासरित् ८.१.४४ ( काञ्ची के राजा कुम्भीर की राजकुमारी वरुणसेना द्वारा सूर्यप्रभ को वरण करने का उल्लेख ), ८.१.९८ ( काञ्चीराज कुम्भीर का स्वभ्राता रम्भ के पास दूत भेजकर सूर्यप्रभ से मैत्री की इच्छा व्यक्त करने का उल्लेख ) ।

 

कुम्भोत्कच ब्रह्माण्ड ३.४.२१.८८ ( भण्ड - पुत्र व सेनापति ) ।

 

कुम्भोदर पद्म ६.२०३.२० ( कुम्भोदर नामक शिवगण का सिंह रूप में दिलीप से संवाद, कपिला गौ द्वारा दिलीप की परीक्षा की कथा ) ।

 

कुर्कुरी स्कन्द ५.३.२०५ ( कुर्कुरी तीर्थ के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन : कुर्कुरी तीर्थ में ढौण्ढेश नामक क्षेत्रपाल का निवास तथा कुर्कुरी देवी से अभीप्सित की प्राप्ति ) ।

 

कुरज मत्स्य २०३.१३ ( धर्म व विश्वा के दस विश्वेदेव पुत्रों में से एक ) ।

 

कुरङ्ग भागवत ५.१६.२६ ( मेरु के मूलदेश में स्थित २० पर्वतों में से एक ), कथासरित् १६.२.१०६ ( कुरङ्गी : राजा प्रसेनजित् द्वारा स्व कन्या कुरङ्गी को अग्नि - पुत्र को प्रदान करने का उल्लेख ) ।

 

कुरण्टक पद्म ६.२२२.१२ ( कुरण्टक ब्राह्मण का श्रुति, स्मृति तथा देवता निन्दक होने से मृत्यु पश्चात् सर्प बनना, कूपमग्ना गौ के उद्धार रूप सत्कर्म के प्रभाव से सर्प को मृत्यु पश्चात् वैकुण्ठ की प्राप्ति का कथन ) ।

 

कुरण्ड ब्रह्माण्ड ३.४.२१.७७, ३.४.२२.१०३ ( भण्डासुर - सेनानी कुरण्ड के अश्वारूढा देवी द्वारा वध का कथन ), कथासरित् ८.५.६३ ( कुरण्डक : प्रभास से युद्ध हेतु श्रुतशर्मा द्वारा प्रेषित चार महारथियों में कुरण्डक पर्वत के स्वामी काचरक नामक विद्याधर का उल्लेख ) । kuranda

 

कुरर भागवत ५.१६.२६ ( मेरु के मूलदेश में स्थित २० पर्वतों में से एक ), ११.७.३४, ११.९.२ ( दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं में से एक, कुरर पक्षी से अपरिग्रह की शिक्षा के ग्रहण का कथन ), विष्णु २.२.२७ ( कुररी : मेरु की तलहटी में स्थित २० पर्वतों में से एक ), २.४.१७ ( कुररा : प्लक्षादि पांच द्वीपों के अन्तर्गत रहने वाले चार वर्णों में से एक ), स्कन्द ६.१८५ ( अतिथि द्वारा कुरर पक्षी से आमिष / धन त्याग की शिक्षा ग्रहण करने का वर्णन ), लक्ष्मीनारायण १.५१०.४२ ( कुरर पक्षी के उद्धरण द्वारा धन - त्याग की शिक्षा का कथन ) । kurara

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