Puraanic contexts of words like Kushtha, Kusuma/flower, Kuhuu etc. are given here.

कुशीतक ब्रह्माण्ड २.३.७१.१६५ ( वसुदेव व रोहिणी के ८ पुत्रों में से एक ), वायु ९६.१६३ (वही) ।

 

कुशीद ब्रह्माण्ड १.२.३५.४० ( कुशीदि : पौष्यंजि के ४ शिष्यों में से एक ), भागवत १२.६.७९ ( पौष्यंजि के ५ शिष्यों में से एक, १०० संहिताओं के अध्ययनकर्त्ता ), द्र. कुसीद ।

 

कुशीबल पद्म ६.१८२.८ ( कुमति के पति कुशीबल नामक ब्राह्मण का मृत्यु पश्चात् ब्रह्मराक्षस बनना, गीता के अष्टम अध्याय श्रवण से मुक्ति ) ।

 

कुशूर ब्रह्माण्ड ३.४.२८.४० ( ललिता देवी की सेनानी लघुश्यामा नामक शक्ति द्वारा कुशूर असुर के साथ युद्ध का उल्लेख ) ।

 

कुशेशय ब्रह्माण्ड १.२.१९.५५ ( कुशद्वीप के सात पर्वतों में से पंचम, कुशेशय पर्वत के धृतिमान् वर्ष का कथन ), मत्स्य २२.७६ ( पितर श्राद्ध हेतु कुशेशय तीर्थ की प्रशस्तता का उल्लेख ), १२२.५८ ( कुशद्वीप के सात पर्वतों में से पंचम पर्वत कंक का द्वितीय नाम ), वामन ९०.१० ( गोप्रचार तीर्थ में विष्णु का कुशेशय नाम से वास? ), वायु ४९.५० ( कुशद्वीप के सप्त पर्वतों में से एक ), विष्णु २.४.४१ ( वही) ।

 

कुशोदका मत्स्य १३.५० ( कुशद्वीप में सती देवी के कुशोदका नाम से प्रसिद्ध होने का उल्लेख ) ।

 

कुषण्ड ब्रह्माण्ड २.३.७.३७९ (पिशाचों के सोलह युग्मों में से एक युग्म का पुरुष पिशाच ), २.३.७.३७९ ( कुषण्डिका : सोलह पिशाच युग्मों में से एक युग्म की स्त्री ) ।

 

कुष्टि वायु २८.९ ( संभूति व प्रजापति मरीचि की चार पुत्रियों में से एक ) ।

 

कुष्ठ गणेश १.२.१ ( राजा सोमकान्त का कुष्ठ ग्रस्त होना ), १.२८.१७ ( मुकुन्दा के शाप से राजा रुक्माङ्गद का कुष्ठग्रस्त होना ), १.२९.१३ ( कदम्ब प्रासाद के समक्ष गणेश कुण्ड में स्नान से कुष्ठ से मुक्ति ), १.७५.४१ ( कुष्ठी के कारण राजा शूरसेन के विमान की ऊर्ध्व गति का रोधन , कुष्ठी के पूर्व जन्म का वृत्तान्त ), १.७६.५४ ( सुलभा द्वारा बलात्कारी बुध को कुष्ठ ग्रस्त होने का शाप ), गरुड १.१६४ ( कुष्ठ रोग के प्रकार व लक्षणों का निरूपण ), २.२.७९(अग्नि उत्सादी के कुष्ठी बनने का उल्लेख), पद्म १.४८.२७ ( द्विजों को विरुद्ध, परुष वाक्य कहने पर आठ प्रकार के कुष्ठों के प्राप्त होने का कथन ), १.५१.८ ( सेव्या नामक पतिव्रता द्वारा कुष्ठी पति की सेवा, माण्डव्य ऋषि द्वारा कुष्ठी को मृत्यु प्राप्ति का शाप, पातिव्रत्य प्रभाव से सेव्या द्वारा पति - रक्षा तथा कुष्ठ से मुक्ति का वृत्तान्त ), ६.५२.१५ ( हेममाली यक्ष के १८ कुष्ठों से ग्रस्त होने व एकादशी व्रत से मुक्त होने की कथा ), भविष्य १.७२, १.७३ ( कृष्ण - पुत्र साम्ब को दुर्वासा मुनि के शाप से कुष्ठ रोग की प्राप्ति , सूर्याराधन से कुष्ठ से मुक्ति का वृत्तान्त ), मार्कण्डेय १६.१४ ( कौशिक ब्राह्मण को कुष्ठ रोग की प्राप्ति, पत्नी के पातिव्रत्य प्रभाव से रोग से मुक्ति का वृत्तान्त ), वराह ६२ ( मानस सरोवर स्थित ब्रह्मपद्म को प्राप्त करने की इच्छा से राजा अनरण्य को कुष्ठ रोग प्राप्ति,  वसिष्ठ द्वारा बताए गए आरोग्य व्रतोपचार से रोग से निवृत्ति का वर्णन ), स्कन्द १.२.४६.१३ ( कुष्ठी बालक द्वारा मरणोत्सुक नन्दभद्र वैश्य को उपदेश ), ४.१.४८.३७ ( कृष्ण के शाप से साम्ब को कुष्ठत्व प्राप्ति, वाराणसी में सूर्याराधन से कुष्ठ से मुक्ति ), स्कन्द ५.२.४१.१७ ( लुम्प राजा द्वारा विप्रहत्या से कुष्ठ रोग प्राप्ति, महाकालवन में शिवलिङ्ग के दर्शन से कुष्ठ से मुक्ति का वर्णन ), ५.३.८६.८ ( शिव के रेतस के कारण अग्नि का कुष्ठी होना, रेवाजल में स्नान से कुष्ठ से मुक्ति ), ५.३.१५३.२१( जाबालि ब्राह्मण द्वारा भ्रूण हत्या से कुष्ठ प्राप्ति व आदित्य उपासना से मुक्ति का वृत्तान्त ), ५.३.१५९.१२ ( ब्रह्महत्या से कुष्ठ प्राप्ति का उल्लेख ), ५.३.१७६.२७ ( कुष्ठों के १०० प्रकार के होने का उल्लेख ), ५.३.२११.२ ( श्राद्ध काल में शिव द्वारा कुष्ठी होकर कृपण द्विजों से भिक्षा मांगना, कुष्ठी रूप अतिथि के तिरस्कार से श्राद्ध के विनष्ट होने का वृत्तान्त ), ५.३.२२६.६ ( विमलेश्वर तीर्थ के प्रभाव से भानु की कुष्ठ रोग से मुक्ति का उल्लेख ), ६.२१३ ( नन्दिनी माता से किए गए कामाचार से कृष्ण - पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग प्राप्ति, कुहरवासा तीर्थ में देवार्चन से कुष्ठ से मुक्ति का वर्णन ), ७.१.२५.२२( सोमवार व्रत से १८ कुष्ठों के नष्ट होने का उल्लेख ), ७.१.२५६.४ ( मानस स्थित पद्म का हरण करने की कामना से राजा नन्द को कुष्ठ रोग प्राप्ति, वसिष्ठ द्वारा निर्दिष्ट सूर्याराधना से कुष्ठ से मुक्ति ), लक्ष्मीनारायण १.३५३.२६ ( कृष्ण - पुत्र साम्ब को शापवश कुष्ठ रोग प्राप्ति, नारद द्वारा कुष्ठ रोग शान्ति हेतु सूर्याराधना का परामर्श, सूर्योपासना से कुष्ठ से मुक्ति का वर्णन ), १.४९१.२( शर नामक कुष्ठी द्विज द्वारा पत्नी सहित नागमती नदी में मुण्डीरस्वामी सूर्य उपासना से कुष्ठ से मुक्ति का वृत्तान्त ), २.२१८.८२( पारूप राष्ट्र के कुष्ठक ऋषि का उल्लेख ), कथासरित् १०.८.१३२( देशान्तर से लौटे हुए शशी द्वारा गृहद्वार पर कुष्ठी को देखना, कुष्ठी द्वारा गृहस्वामिनी के साथ रमण के स्ववृत्तान्त का निवेदन ) । kushtha

कुष्ठ अथर्ववेद के कुष्ठ सूक्त में कहा गया है कि यह कुष्ठ (कु - दुर्गम स्थान, स्थ - स्थित होना, आत्मा का वह स्वरूप जो दुर्गम स्थान में स्थित है , जहां परमात्मा से नित्य सम्बन्ध है ; साधारण अर्थ में कूठ नामक ओषधि ) कहां से आया है ? यह देवताओं के अमृत चखने से उत्पन्न हुआ है । यह तीन शाम्बों से आया है । शाम्ब / शम्ब शाम्भवी मुद्रा से सम्बद्ध प्रतीत होता है जिसके लिए वराहोपनिषद ५.५३ आदि द्रष्टव्य हैं। लक्ष्य पर अन्दर - बाहर दृष्टि, निमेष - उन्मेष से रहित अवस्था शाम्भवी मुद्रा होती है । - फतहसिंह

 

कुसीद भविष्य १.२.१२३( वणिक् की कुसीद वृत्ति होने का उल्लेख ), स्कन्द २.७.२१.५ ( वाल्मीकि के जन्म कथन प्रसंग में एक जन्म में कुसीद मुनि - पुत्र रोचन होने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.५२६.५७( कुसीद आदि व्यवहार चान्द्र वर्ष के अनुसार होने का उल्लेख ), द्र. कुशीद ।

 

कुसुम पद्म ३.१८.१०९ ( कुसुमेश्वर तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : अनङ्ग काम का तप:स्थान ), ब्रह्माण्ड २.३.७४.१३२ ( शिशुनाग वंशीय राजा उदयी द्वारा गङ्गा के दक्षिण तट पर कुसुम नगरी की स्थापना का उल्लेख ), २.३.७.२३१( वानरराज वालि के प्रधान वानरों में कुसुम का उल्लेख ), ३.४.३६.७६ (कुसुमा : ललिता देवी की आठ सेविका शक्ति देवियों में से एक ), भविष्य २.२.८.२८ ( फूल, चैत्र मास की अष्टमी में अशोक के फूलों से देवी की पूजा का कथन ), मत्स्य १२२.२४( कुसुमोत्कर : सोमक वर्ष का अपर नाम ), वामन ५७.६५ ( धाता द्वारा स्कन्द को कुन्द , मुकुन्द तथा कुसुम नामक अनुचरों को प्रदान करने का उल्लेख ), वायु ९९.३१९ ( बिंबिसार - पौत्र तथा दर्शक - पुत्र उदायी द्वारा गङ्गा के दक्षिण तट पर कुसुम नामक पुर की स्थापना का उल्लेख ), स्कन्द ५.१.२८.२८ ( कुसुमेश के श्रद्धापूर्वक पूजन से शिवलोक प्राप्ति का उल्लेख ), ५.२.३८ ( कुसुमेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य : कुसुम - भूषित वीरक का शिव कृपा से कुसुमेश्वर रूप से प्रसिद्ध होना ), ५.३.१५० ( शिव द्वारा कामदहन, काम का पुन संजीवन, काम द्वारा तप, कुसुमेश्वर लिङ्ग की स्थापना व माहात्म्य ), ७.२४.४३ ( शिवार्चन में कुसुमार्पण का कोटि स्वर्गदान सदृश फल तथा शिव हेतु स्वीकृत व त्याज्य कुसुमों का वर्णन ), हरिवंश २.१२२.३० ( स्वाहाकार नामक ५ अग्नियों में से एक ), योगवासिष्ठ १.२२.१६ ( जरा रूपी कुसुम से कुसुमित देह वृक्ष पर मरण मर्कट के वेगपूर्वक आगमन का उल्लेख ), कथासरित् ५.१.२०६ ( कुसुमपुर : गङ्गा तट  पर स्थित कुसुमपुर नगरवासी हरस्वामी नामक तपस्वी की कथा ), ११.१.३६ (कुसुमसार :लम्पा नगरी वासी कुसुमसार वैश्य के पुत्र चन्द्रसार व शिखर नामक वैश्य की पुत्री वेला की कथा ), १२.२९.३ (  राजा धरणीवराह द्वारा शासित एक नगर ) । kusuma

 

कुसुमामोदिनी मत्स्य १५६ ( पार्वती - माता मेना की सखी तथा पर्वतराज हिमाचल की अधिकारिणी देवी द्वारा पार्वती की प्रार्थना पर पर्वत की रक्षा ), स्कन्द १.२.२९.१ ( पार्वती - माता मेना की सखी ) ।

 

कुसुमायुध ब्रह्माण्ड ३.४.३५.६२ ( ललिता देवी की शृङ्गारशाला में शृङ्गार शक्तियों द्वारा कुसुमायुध की सेवा का उल्लेख ), मत्स्य ३.१० ( ब्रह्मा के हृदय से कुसुमायुध की उत्पत्ति का उल्लेख ), ४.११ ( सावित्री पर कुदृष्टि डालने से ब्रह्मा के लज्जाभिभूत होने तथा कुसुमायुध को रुद्र द्वारा भस्म होने के शाप का कथन ), ४.२१( ब्रह्मा द्वारा प्रदत्त शाप और कृपा से संयुक्त कुसुमायुध के शोक तथा आनन्द से अभिभूत होने का कथन ), १४.५ ( कुसुमायुध सदृश सौन्दर्यशाली पितरों में अमावसु नामक पितर को देखकर अच्छोदा के कुसुमायुध पीडित होने का उल्लेख ), स्कन्द २.८.८.२ ( कुसुमायुध कुण्ड में स्नान तथा दान से परम सौन्दर्य तथा सौख्य की प्राप्ति का कथन ), कथासरित् १८.४.२५३ ( देवस्वामी ब्राह्मण की कन्या कमललोचना का देवस्वामी के शिष्य कुसुमायुध से अनुराग, दोनों के वियोग तथा मिलन का वृत्तान्त ) । kusumaayudha

 

कुसुमोत्तर ब्रह्माण्ड १.२.१४.१७ ( प्रियव्रत - पुत्र हव्य के सात पुत्रों में से एक कुसुमोत्तर के नाम पर कुसुमोत्तर वर्ष के नामकरण का उल्लेख ), १.२.१९.९२ ( शाकद्वीपान्तर्गत अस्त पर्वत के निकटस्थ प्रदेश का कुसुमोत्तर नामोल्लेख ), वायु ४९.८७ (शाकद्वीप के अन्तर्गत अस्त पर्वत के वर्ष का कुसुमोत्तर नामोल्लेख ) ।

 

 कुसुमोद विष्णु २.४.६० ( शाकद्वीपेश्वर भव्य के सात पुत्रों में से एक ) ।

 

कुसुम्भ मत्स्य ६०.९,२७ ( इक्षु, निष्पाव, राजधान्य, गोक्षीर आदि आठ सौभाग्य द्रव्यों में से एक ) ।

 

कुस्तुम्बुरु वायु ६९.१५९ ( देवजननी व मणिवर के पूर्णभद्र आदि अनेक पुत्रों में से एक ) ।

 

कुहक भागवत ५.२४.२९ (महातल में कद्रू से उत्पन्न क्रोधवश वर्ग के नागों में से एक प्रधान नाग ), लक्ष्मीनारायण १.५७.२९ ( राजा बर्हिषाङ्गद द्वारा ऋषि के कण्ठ में मृत सर्प के प्रक्षेपण से क्रुद्ध ऋषि - पुत्र का राजा को कुहक सर्प के दंशन से मृत्यु प्राप्ति का शाप ), २.२८.१८ ( कुहक जाति के नागों के व्यापारी होने का उल्लेख ) । kuhaka

 

कुहर वायु १०४.६१ ( मेरु पर्वतोपरि कुहरिणी नामक स्थान पर व्यास द्वारा संशयापनोदनार्थ तपस्या करने का उल्लेख ), शिव ५.३२.४७ ( कश्यप व सुरसा के अनेक सर्पपुत्रों में से एक ), स्कन्द ६.२१३.११ ( सूर्याराधना से कुष्ठ मुक्त होने पर ब्राह्मण द्वारा कुहरवासा संज्ञक सूर्य तीर्थ की स्थापना, कुहरवासी देव की भक्तिपूर्वक उपासना से कृष्ण - पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्ति का वर्णन ) । kuhara

 

कुहू अग्नि ८८.४( शान्त्यतीत कला/तुर्यातीता की २ नाडियों में से एक, कुहू नाडी में देवदत्त वायु की स्थिति का उल्लेख ), २७४.५ ( सोम के राजसूय यज्ञ की समाप्ति पर कुहू का पति हविष्मान् को त्याग कर सोम के पास गमन का उल्लेख ), देवीभागवत ८.१२.२४ ( शाल्मलि द्वीप की एक नदी ), १२.६.३६ (गायत्री सहस्रनाम में से एक ), पद्म१.६.५४ ( मय - कन्या, उपदानवी तथा मन्दोदरी - भगिनी ), ब्रह्माण्ड १.२.११.१८ ( स्मृति व अंगिरस की ४ कन्याओं में से एक ), १.२.२६.४४ ( शिव स्तुति के अन्तर्गत कुहू प्रभृति शक्तियों की शिव से उत्पत्ति का उल्लेख ), १.२.२८.११ ( पुरूरवा द्वारा कुहूमात्र काल वाली कुहू नामक अमावस्या की उपासना का उल्लेख ), १.२.२८.५९ ( कोकिल के कुहू उच्चारण के काल सदृश परिमाण वाली होने से अमावस्या की कुहू संज्ञा का उल्लेख ), २.३.६५.२६ ( सोम की नौ अनुचरी देवियों में से एक ), ३.४.३२.१३ ( षोडशपत्र वाले अब्ज / कमल की सोलह शक्तिदेवियों में से एक ), भागवत ४.१.३४ ( अङ्गिरा व श्रद्धा की चार कन्याओं में से एक ), ५.२०.१० ( शाल्मलि द्वीप की सात नदियों में से एक ), ६.१८.३ ( धाता की चार पत्नियों में से एक, सायं - माता ), १०.५४.४७ ( कुहू अमावस्या में चन्द्रकलाओं के क्षय का उल्लेख ), मत्स्य ६.२१( मय की तीन कन्याओं में से एक ), २३.२५ ( सोम के अवभृथ स्नान की समाप्ति पर कुहू देवी का पति हविष्मान् को छोडकर सोम की सेवा में नियुक्त होने का उल्लेख ), ११४.२१ ( हिमालय से नि:सृत अनेक नदियों में से एक ), १२१.४६ ( कुहू नामक राज्य में सिन्धु नदी के प्रवहण का उल्लेख ), १२२.३२ ( शाकद्वीप की सात गङ्गाओं में से पांचवीं गंगा इक्षु के कुहू नाम से प्रथित होने का उल्लेख ), १४१.९, ४४, ४९, ५१ ( कुहू काल में पुरूरवा द्वारा पितरों के उद्देश्य से कुहू की उपासना, प्रतिपदा युक्त दो लवकाल अमावस्या की कुहू संज्ञा, कोयल के कुहू शब्द के उच्चारण काल के परिमाण वाले होने से दो लवकाल के कुहू नाम से प्रथित होने का कथन ), वामन ५७.८० ( कुहू नदी द्वारा स्कन्द को कुवलय नामक गण प्रदान करने का उल्लेख ), वायु २८.१५ ( स्मृति व अङ्गिरा की चार कन्याओं में से एक ), ४५.९५ ( हिमालय से नि:सृत एक नदी ), ५०.२०१ ( अमावस्या का कुहू नाम से उल्लेख ), ५६.९ ( पुरूरवा द्वारा सिनीवाली / चर्तुदशीयुक्त अमावस्या तथा कुहू / प्रतिपदा युक्त अमावस्या की उपासना का उल्लेख ), ५६.५३ ( अमावस्या के कुहू नाम के हेतु का कथन ), ९०.२५ ( सोम की ९ अनुचरी देवियों में से एक ), विष्णु १.१०.७ ( स्मृति व आंगिरस की चार कन्याओं में से एक ), शिव ५.३४.५४ ( तृतीय सावर्णि मनु के ९ पौत्रों में से एक ), स्कन्द ४.१.२१.३९ ( श्री हरि के तिथियों में कुहू अमावस्या तिथि होने का उल्लेख ) । kuhuu/kuhu

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